मंगलवार, 13 सितंबर 2022
मंगलवार, 6 सितंबर 2022
मंगलवार, 30 अगस्त 2022
रविवार, 28 अगस्त 2022
शनिवार, 27 अगस्त 2022
संगम के पास का यह द्रश्य रोमांचित कर देता है। कवि गुरु डाक्टर जगदीश गुप्त ने इस द्रश्य को देखकर अपनी एक कविता में कल्पना की थी क़ि गंगा के उपर बने इस रेलवे पुल को देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी नव यौवना स्त्री ने अपने खुले लहराते केशों में कंघा खोंस लिया हो और बेखबर होकर आकाश को निहार रही है। मुझे भी इस द्रश्य ने अपनी और आकर्षित किया। नतीजा यह वाइड एंगिल तस्वीर।... जल केशों पर कंघा पुल छाया: अजामिल
शुक्रवार, 26 अगस्त 2022
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