मंगलवार, 29 अगस्त 2017

जहां एकांत इंतजार करता है

मौजूदा दौर में कोलाहल भी जीना हमारी व्यवस्था हो गई है आज एकांत के दो पल किसी जगह पर तलाश लेना बहुत मुश्किल हो गया है

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