गुरुवार, 2 मार्च 2017

नाट्य छायांकन की कला

इलाहाबाद के वरिष्ठ छायाकार विकास चौहान पिछले 2 वर्षों से विशेष रुप से रंगमंच पर होने वाले नाटकों की तस्वीरें उतार रहे हैं उनका कहना है कि रंगमंच पर चरित्रों की वेशभूषा और आता-जाता प्रकाश अपना जादुई प्रभाव डालता है किसी भी छायाकार के लिए रंग बिरंगे प्रकाश का आकर्षण हमेशा रहा है विकास बेहद मामूली कैमरे से फोटोग्राफी करते हैं और उनका मानना है कि फोटोग्राफी कैमरा नहीं करता बल्कि छायाकार का विजन किसी भी तस्वीर को आकार देती है रंगमंच की तस्वीरों को लेकर विकास पूरी तरह से सतर्क रहते हैं उनका कहना है कि निर्देशक जो कंपोजीशन बनाता है उस कंपोजीशन को तस्वीरों में बनाए रखना रंगमंच की फोटोग्राफी की पहली शर्त है विकास चौहान को रंगमच की फोटोग्राफी बहुत पसंद है इलाहाबाद में वह लगभग सभी अच्छे नाटक देखते हैं नाटक को समझते हैं और नाटक में डूबकर नाटक की फोटोग्राफी करते हैं उनके अनुसार नाटक की फोटोग्राफी महत्वपूर्ण नहीं है नाटक का संपूर्णता में मूड व्यक्त होना चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है तो वह अच्छी फोटोग्राफी नहीं है विकास चौहान कोलकाता के रंगमंच के वरिष्ठ छायाकार निवाई घोष को अपना उस्ताद बनते हैं यहां उनके द्वारा उतारी गई नाटकों की कुछ तस्वीरें मैं शेयर कर रहा हूं ।
ब्लॉग न्यू थिएटर् मैं कला समीक्षक अजामिल की टिप्पणी

1 टिप्पणी:

  1. सर आपकी प्रेरणा से ही आज इस मुकाम पर हूँ ,आपका आशीर्वाद का सदैव ही आकांक्षी रहूंगा |

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