बाजार में आ गए
फाइबर के रंग बिरंगे गमले
इन दिनों बाजार में रंग बिरंगे गमलों और कुछ दूसरे सजावटी बर्तनों की आमद हुई है बगीचे के लिए यह बहुत खूबसूरत सौगात है यह फाइबर के बने हुए हैं और अलग-अलग साइज में उपलब्ध हैं सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित खींर रहे हैं कुम्हार जाति के लोग एक लंबे समय से बगीचों के लिए गमले बनाने का काम करते चले आ रहे हैं बड़ी बड़ी इंडस्ट्रीज द्वारा बनाए गए इंटरेस्टिंग के कमरों से कुमार के पारंपरिक रोजगार को जरूर झटका लगेगा अभी प्लास्टिक के गमले काफी महंगे हैं लेकिन एक साथ खरीदी जाने पर इनके साथ भी मोलतोल चल रहा है।
चित्र एवं रिपोर्ट अजामिल
शनिवार, 8 सितंबर 2018
फाइबर के गमले बागीचे को मिला एक नया अंदाज
गुरुवार, 26 जुलाई 2018
गीता उपदेश
इस्कॉन इलाहाबाद में प्रस्तुत की गई यह कृष्णलीला लगभग 15 साल पहले वरिष्ठ रंगकर्मी अजामिल के निर्देशन में हुई थी इस प्रस्तुति में आज के वरिष्ठ रंगकर्मी कौशिक गौतम और वरिष्ठ रंग करें आलोक नायर ने क्रमशः कृष्ण और अर्जुन की भूमिका की थी। यह दुर्लभ चित्र उसी कृष्ण लीला का है ।
चित्र छायांकन /विकास चौहान
सोमवार, 16 जुलाई 2018
पर्यावरणविद् सम्मान
इलाहाबाद के वरिष्ठ पत्रकार और पर्यावरण विद स्व.अरुणकुमार अग्रवाल द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कवि अजामिल को सम्मानपत्र देते समाजसेवी रंगकर्मी राजेन्द्र कुमार तिवारी उर्फ़ दुकांजी।
शुक्रवार, 8 जून 2018
नन्हे पैर और नन्हे हाथ क्या कहते हैं
नन्हे हाथ जिसे रचना है खूबसूरत दुनिया नन्हें पैर जिन्हें चलना है हजारों मील अपने सपनों को सच करने के लिए यह हाथ और यह पैर मनुष्य को दिया गया ईश्वर का सबसे सुंदर उपहार है।
फोटो अजामिल
शुक्रवार, 25 मई 2018
पू पू का आना
आज मेरे नाती पू पू घर आए थे जितनी देर घर पर रहे उतनी देर गर्मी की वजह से उन्हें बर्थडे सूट में ही रखा गया बहुत खुश रहे मुझे लगता है कि किसी भी बच्चे का जन्म परिवार में किसी भी बच्चे का होना दुनिया की सबसे बड़ी खुशी है एक भरोसा है कि यह दुनिया अभी सही सलामत रहेगी हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम बच्चों के लिए बहुत खूबसूरत दुनिया सुरक्षित छोड़ें हमारे बच्चों का भावी घर यह दुनिया बहुत सुंदर होनी चाहिए ।
विचार बिंदु और फोटो अजामिल
सोमवार, 21 मई 2018
मेरा कमरा
मेरा कमर
यह मेरा छोटा सा कमरा है यह कमरा आज मेरे पास है कल होगा या नहीं मैं नहीं जानता पर यह कमरा आज मुझे बहुत प्रिय है थक हार कर मैं इसी कमरे मैं आकर शांति महसूस करता हूं यह कमरा मुझे रचनात्मक ऊर्जा देता है इस कमरे में मेरे पास बहुत सी किताबें हैं जो मेरे अकेलेपन की साथी है मध्यम वर्गीय परिवारों में आज यह मुमकिन नहीं है कि सबको उसके समा जाने के लिए एक कोना किया जा सके किराए के मकानों मैं तो यह लगभग नामुमकिन है पर मैं भाग्यशाली हूं मेरे पास यह छोटा सा कमरा है मेरी छोटी-छोटी आकांक्षाओं और सपनों को समेटे हुए।
बुधवार, 28 मार्च 2018
रविवार, 11 मार्च 2018
झुमका राजस्थान का
शीशे और धागे से बनाया गया यह कलात्मक झुमका उसकी कमर पर बंधा हुआ था पूरा राजस्थान समेटे हुए इसमें कोई आवाज नहीं थी लेकिन हम कुछ गूंज को सुन सकते थे जो सुंदरता की पराकाष्ठा पर पहुंच कर हमारे हृदय में रच बस जाती है।
** फोटो अजामिल
शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2018
पुस्तक विमोचन वक्त का में लिपिक यश मालवीय
**पुस्तक का जन्म उत्सव
**गीत संग्रह
वक्त का मैं लिपिक
काा हुआ विमोचन
इलाहाबाद में जीजीआईसी के मैदान में लगे पुस्तक मेले में देश के सुप्रसिद्ध गीतकार कवि और साहित्यकार यश मालवीय के नए गीत संग्रह वक्त का मैं लिपिक का विमोचन साहित्यकार डॉक्टर राजेंद्र कुमार डॉक्टर ए एस फातमी डॉक्टर अनीता गोपेश डॉक्टर मुश्ताक अली वरिष्ठ कवि हरीश चंद्र पांडे और अजामिल ने संयुक्त रूप से किया लोकभारती द्वारा प्रकाशित इससे काव्य संग्रह मैं शामिल किए गए गीतों की चर्चा करते हुए वक्ताओं ने कहा यश मालवीय के गीत आज के समाज की सीधी सच्ची तस्वीर पेश करते हैं और हमें अंदर से विषम परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता भी प्रदान करते हैं यश के गीतों पर हमारी अपनी जिंदगी की सीधी सरल और सहज सुगबुगाहट मौजूद है यश को गीत लिखने की प्रेरणा परंपरा से मिली है उनके पिता उमाकांत मालवीय देश के प्रथम पंक्ति के गीतकारों में रहे यश अपने पिता की तरह ही प्रयोगधर्मी गीतकार हैं शायद इसीलिए वह गीतकारों के भीड़ में अलग दिखाई देते हैं यश ने अपने गीतों के लिए जमीन की तलाश तमाम छोटे बड़े सामाजिक संदर्भों मैं ही की है सबसे बड़ी बात यह है की यश के गीत गाने पर और भी ज्यादा ऊर्जावान हो जाते हैं यश ने अपने गीतों में सच को बड़े बेबाकी से कहा है यश अपने गीतों को अभिव्यक्ति का हथियार मानते हैं और समाज को बदलने के सिलसिले में जरूरी भी इस अवसर पर यश नहीं अपने गीतों का पाठ भी किया इस अवसर पर साहित्यकार उर्मिला जैन महेंद्र राजा जैन शैलेंद्र जय शाश्वत रतन सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार मौजूद रहे इस विषय पर संगोष्ठी का संचालन वरिष्ठ पत्रकार धनंजय चोपड़ा ने किया धन्यवाद ज्ञापन लोक भारती के संचालक स्वामी रमेश ग्रोवर ने किया ।
रिपोर्ट / अजामिल
सोमवार, 12 फ़रवरी 2018
हमें मिला ईश्वर का उपहार
मेरी बेटी निकिता ने 12 फरवरी 2018 को सुबह 5 17 मिनट पर एक बहुत ही प्यारे बच्चे को जन्म दिया है यह उपहार पाकर हमारा पूरा परिवार बहुत खुश है इसके आने के बाद गुनगुन को एक भाई मिल गया है गुनगुन बड़ी मगन है और उसकी तस्वीरें उतारने के लिए उतावली भी विशेष परीक्षण के लिए शिशु को नर्सरी में रखा गया है जैसे ही वह अपनी मां के पास आएगा हम सबके लिए वह पल यादगार पल होगा नाजरेथ अस्पताल की एक दीवार पर लिखा हुआ है कि बच्चे मनुष्य को मिलने वाला सर्वोत्तम वरदान है यह पारितोषिक ईश्वर उन्हें देता है जिसे उस पर बहुत भरोसा होता है उस शिशु की यह तस्वीरें नर्सरी की एक नर्स ने शूट की है हमारे लिए यह भी हमेशा याद रखने वाली बात है ।