कवि लेखक साहित्यकार चित्रकार श्री अजामिल
Foto vikas chauhaN
रविवार, 12 नवंबर 2017
शनिवार, 11 नवंबर 2017
साहित्यकार गोपीकृष्ण गोपेश की कुछ दुर्लभ छवियां
देश के सुप्रसिद्ध साहित्यकार स्वर्गीय गोपीकृष्ण गोपेश की कुछ छवियां गोपीकृष्ण गोपेश कवि लेखक और बहुचर्चित समर्थ अनुवादक थे उन्होंने रूसी भाषा के बहुत से उपन्यासों का सफल अनुवाद किया था कवि के रूप में उनकी पहचान थी सूर्यकांत त्रिपाठी निराला सुमित्रानंदन पंत महादेवी वर्मा रघुपति सहाय फिराक रामकुमार वर्मा उपेंद्रनाथ अश्क रामस्वरूप चतुर्वेदी डॉ रघुवंश विजयदेव नारायण साही डॉ जगदीश गुप्त माखनलाल चतुर्वेदी जैसे बड़े साहित्यकारों का गोपेश जी को बड़ा आत्मीय सानिध्य प्राप्त था अपने जीवन काल में उन्होंने कुछ वर्ष रूस में रहकर अध्यापन का कार्य किया था इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भी गोपेश जी संपत रहे थे आकाशवाणी इलाहाबाद से भी उनका गहरा संबंध था जहां उन्होंने अनेक यादगार कार्यक्रम बनाए और प्रसारित किए थे।
** अजामिल
बुधवार, 8 नवंबर 2017
TV सीरियल महामना मदन मोहन मालवीय की शूटिंग की कुछ झलकियां
**महामना मदन मोहन मालवीय के जीवन पर आधारित TV धारावाहिक की शूटिंग हुई इलाहाबाद में
TV चैनल न्यूज़ वर्ल्ड द्वारा महामना मदन मोहन मालवीय के जीवन पर आधारित विशेष TV धारावाहिक की शूटिंग आज इलाहाबाद में शहर के पुराने मोहल्ले मालवीय नगर में अवस्थित महामना जी के पुश्तैनी मकान से आरंभ हुई इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार रामनरेश त्रिपाठी न्यायाधीश और महामना जी के परिवार के वरिष्ठ सदस्य गिरधर मालवीय साहित्य संपादक हरिमोहन मालवीय समाजसेवी गणेश दत्त तिवारी रामचंद्र पटेल अजामिल के अलावा महाबला मदन मोहन मालवीय के परिजनों से विस्तार से बातचीत की गई यह फिल्म दिसंबर में रिलीज की जाएगी फिल्म की शूटिंग के दौरान पूरी टीम को मालवीय नगर मोहल्ले का बहुत सहयोग मिला सभी को इस फिल्म से बहुत आशा है यह फिल्म महामन जी के जीवन के अनेक अनछुए प्रसंगों को सामने लाएगी । इस धारावाहिक का निर्देशन निशीत मल्होत्रा कर रहे हैं कैमरा वर्क रोहित कहां है।
चित्र एवं रिपोर्ट अजामिल
मंगलवार, 7 नवंबर 2017
उपेंद्र नाथ अश्क ऐसे थे पापा जी
** अविस्मरणीय
उपेंद्रनाथ अश्क
ऐसे थे पापा जी
आज साहित्यकारों की तस्वीरों का एलबम देखते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार स्वर्गीय उपेंद्रनाथ अश्क की यह तस्वीर दिखाई पड़ी और उनके साथ बिताए वक्त की बहुत सी यादें ताजा हो आयी। अश्क जी की यह तस्वीर मैंने उनके घर पर उतारी थी । उस जमाने में मैं फोटोग्राफी सीख रहा था इसलिए मेरे लिए यह तस्वीर सबसे अच्छी तस्वीर थी । अश्क जी को भी बहुत पसंद आई थी। उस जमाने में अश्क जी एक ऐसी शख्सियत थे जिनके बगैर इलाहाबाद के साहित्यकारों पर चर्चा संभव नहीं थी । अपने मित्र नीलाभ के रिश्ते से मैं भी उन्हें पापा जी के अलावा कोई और संबोधन देने का साहस नहीं कर पाया । जब कभी उनके घर जाता तो ढेर सारी बातें होती । जिन पुस्तकों की 2-3 प्रतियां उनके पास होती उनमें से कुछ पुस्तकें वह हमें पढ़ने के लिए बिना मांगे दे देते थे । उनके यहां जाने पर बहुत सी लघु पत्रिकाएं भी प्राप्त होती थी इसलिए हम सप्ताह में दो एक चक्कर उनके घर का मार दिया करते थे । अश्क जी बहुत जिंदादिल थे और जिसे प्यार करते थे , बेइंतहा प्यार करते थे और हर वक्त उसकी तरक्की के बारे में सोचते थे । लिखना पढ़ना लोगों की रचनाओं पर चर्चा करना यह उनकी आदत में शुमार था । दूसरे क्या लिख रहे हैं इसे जानने की जिज्ञासा उन्हें हमेशा रहती थी । नए लेखकों को बहुत प्यार करते थे । साहित्यिक कार्यक्रमों में उनकी उपलब्धता सहज ही हो जाती थी । हम लोग जब उनके घर जाते हैं तो कभी-कभी कौशल्या जी भी हमारे साथ आकर बैठ जाया करती थी । हम आग्रह करते तो अपनी नई कहानियां भी सुनाती अश्क जी से हम कविताएं सुनते और उन्हें अपनी कविताएं सुनाते । उनकी बेबाक राय हमें बहुत हौसला देती अश्क जी पढ़ते खूब थे इसीलिए इलाहाबाद में उनसे ज्यादा साहित्य में अपडेट बहुत कम लोग थे । नीलाभ की गिनती भी नौजवान लेखकों मैं होती थी । अश्क जी साहित्य आलोचना में सब का मुकाबला कर लेते थे लेकिन वह नीलाभ की खरी और बेबाक आलोचना से बहुत घबराते थे यद्यपि पापा जी के प्रति नीलाभ के मन में जैसा सम्मान का भाव था वैसा बहुत कम देखने में आता है । यह नहीं भूलना चाहिए कि कुछ भी रहे हो अश्क जी नीलाभ के बाप थे । कोई बच्चा अपने बाप का बाप नहीं हो सकता । अश्क जी को समझना कभी आसान नहीं रहा । हम सब तो उनके मुरीद थे । उनके स्कूल के छात्र और हमें उनका छात्र बना रहने में ही सुख मिलता था । अश्क जी रोज लिखते थे । नियम से लिखते थे और एक विचित्र बात यह थी क़ि अश्क जी खड़े होकर लिखते थे । एक मेज बड़े करीने से दीवार से सटाकर विशेष डिजाइन के साथ बनाई गई थी । इस मेज के करीब खड़े होकर लिखने का अश्क जी का अभ्यास था । थक जाते तो थोड़ा टहलते वही अपनी स्टडी में कोई किताब लेकर बैठ जाते मिलने वाले आ गए तो थोड़ा गपशप करते थें फिर तरोताजा होकर लिखने की मेज के पास खड़े हो जाते । उनकी कृतियों में उनकी प्रतिभा तो दिखाई ही देती है उनका परिश्रम भी बोलता है । मैं अपने जीवनकाल में अश्क जी से बहुत बार मिला । माया के दफ्तर आया करते थे अश्क जी अमरकांत जी और भैरव प्रसाद गुप्त से मिलने के लिए । वहां हमारे पास भी आकर बैठ जाया करते थे । कथाकार स्वर्गीय अमर गोस्वामी को अश्क जी बहुत प्यार करते थे । मैं उन दिनों माया मैं ही था तो उनसे बातचीत का अवसर मुझे भी मिल जाता था । बहुत अच्छा लगता था जब वह बड़े प्यार से कहते थे तू अच्छी कविताएं लिख रहा है । खूब पढ़ा कर । अच्छा पढ़ेगा तो थोड़ा सा अच्छा लिखेगा । उनकी यह बात मुझे आज तक याद है । मुझे तो ना आज तक अश्क जी भूले हैं और ना उनकी बातें । फिर कभी अवसर आया तो उनकी और भी बातें आपकोबताऊंगा।
** अजामिल
चित्र अजामिल
सोमवार, 6 नवंबर 2017
वरिष्ठ छायाकार परमेश साध
**वरिष्ठ छायाकार
परमेश साथ
**एक साधक
एकला चला रे
इलाहाबाद के वरिष्ठ छायाकार परमेश् साध मेरे पसंदीदा फोटोग्राफर है । नख से लेकर शिख तक मुझे उन का हर अंदाज पसंद आता है । कम बोलते हैं और पूरी शिद्दत से अपने काम में लगे रहते हैं । अपने काम का कभी प्रचार नहीं करते । यह काम उनके काम की गुणवत्ता के कारण अपने आप हो जाता है । बिजनेस घराने से है इसलिए जब उन्होंने फोटोग्राफी शुरू की तब बहुत से मठाधीशों ने उनका मजाक उड़ाया और उनसे कहा कि उन्हें अपना बिजनेस ही देखना चाहिए फोटोग्राफी उनके बस की नहीं । परमेश ने कभी इसकी परवाह नहीं की और वह फोटोग्राफी की एकल साधना में लगे रहे । आज उसका नतीजा यह है क़ि परमेश का छायांकन अंतर्राष्ट्रीय छायांकन के मानकों के बहुत करीब पहुंच चुका है और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय फोटोग्राफी जगत के तमाम जाने माने छायाकारों का समर्थन भी मिल रहा है । अपने बिजनेस के बाद जो समय मिलता है परमेश उस समय में जमकर फोटोग्राफी करते हैं । उन्हें कोई जल्दबाजी नहीं है और उनकी किसी से कोई प्रतिस्पर्धा भी नहीहै ।ं फोटोग्राफी के क्षेत्र में परमेश किसी दौड़ में शामिल नहीं है लेकिन अच्छी चीजें उनके लिए चुनौती होती हैं । कुछ मौलिक करने की एक एक इच्छा उनके भीतर कुलबुलाति रहती है । मूल रूप से परमेश् के छायांकन में प्रकृति को खेलते खिलखिलाते देखा जा सकता है । इधर के दौर में उन्होंने मॉडलिंग फोटोग्राफी की और भी अपना रुझान दिखाया है । पूरी ईमानदारी से इस क्षेत्र में उनकी कोशिश जारी है । कुछ नया करना चाहते हैं । उनकी इच्छा है कि मॉडलिंग में मूड्स की क्या अहमियत है इस बात को अपनी तस्वीरों में शामिल करें और कर रहे हैं । परमेश को फोटोग्राफी की नई नई तकनीक प्रिय है। Photoshop को वह तस्वीरों को संवारने और उसे नई सूरत देने के लिए एक जरूरी टूल मानते हैं और Photoshop का जमकर इस्तेमाल करते हैं । उनका मानना है कि फोटोशॉप कैमरे का ही एक पार्ट है और इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए । तस्वीरें अगर इसके माध्यम से और खूबसूरत बनती है तो इसमें आपत्ती क्या है । फोटोशॉप की एक एप्लीकेशन आज के आधुनिक लगभग सभी कैमरोंं में समाहित कर दी गई है । बेहतर काम के लिए ही अच्छे छायाकार कंप्यूटर पर जाकर Photoshop का इस्तेमाल करते हैं । बहर
हाल परमेश साध इलाहाबाद के एक ऐसे छायाकार है जिनके विश्व फोटोग्राफी जगत में चमकने और एक शानदार मुकाम बनाने की राष्ट्रीय स्तर पर छायाकारों को उम्मीद दिखाई दे रही है । यहां परमेश द्वारा छायांकित एक चित्रं दिया जा रहा है । मां की ममता को रेखांकित करता यह चित्र अद्भुत है और परमेश के भीतर के सम्वेदना जगत को हमारे समक्ष रखता है । बहुत-बहुत बधाई परमेश साथ ।
** अजामिल