मंगलवार, 31 अक्टूबर 2017

राजस्थान के ये घुमंतू मूंगफली वाले

**यह जो है जिंदगी

राजस्थान के

ये घुमंतू मूंगफली वाले

कहते हैं कि रोटी रोजी किसी इंसान को कहां से उठा कर कहां ले जाएगी कोई नहीं जानता करोड़ों लोग आज देश में ऐसे हैं जो अपना घर परिवार छोड़कर देश के छोटे बड़े हिस्सों में दो रोटी कमाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं इलाहाबाद में पिछले दो वर्षों से राजस्थान के घुमंतू मूंगफली वाले शहर के सड़क किनारे अपनी छोटी छोटी मूंगफली की दुकानें लगाए हुए हैं यह राजस्थान से कच्ची मूंगफली लेकर चलते हैं और जहां अपनी दुकान लगाते हैं वहां एक छोटे से चूहे पर एक कढ़ाई में मूंगफली गरमा गरम मूंगफली भेजते हैं इस तरह की दुकानें इस शहर में लगभग 50 साट के आसपास है हर दुकान पर कम से कम 2 लोग काम करते हैं कई मूंगफली की दुकानें ऐसी भी है जिसमें पूरा परिवार लगा हुआ है किसी भी दिन 50 किलो से ज्यादा इनकी मूंगफली नहीं देख पाती रात को यह अपनी दुकान हटाते नहीं बल्कि वही सो जाते हैं रोज दुकान को समेटना और सुबह फिर सजाना इनके लिए मुश्किल काम है कुछ विचारों पर यह मूंगफली वाले मूंगफली को बोरे में भरकर उस धर्मशाला या होटल तक ले जाते हैं जहां यह ठहरे हुए हैं अजीब खानाबदोश जिंदगी है इनकी भी जो मिल गया खा लिया स्थानीय बाजार की प्रतिस्पर्धा के कारण इन्हें अपने मूंगफली का रेट प्रति किलो कम रखना पड़ता है जिसके कारण इनके मुनाफे का मार्जिन बहुत कम हो जाता है सर्दियों में ग्राहक इनसे किलो 2 किलो मूंगफली ले जाते हैं इनके संघर्ष को सलाम करता हूं इनकी मेहनत को सलाम करता हूं यह वह लोग है जिन्होंने अपना रास्ता खुद बनाया है हर जीवन को पूरे साल इमरान के साथ जी रहे है।

**चित्र  और रिपोर्ट  अजामिल ं

गुरुवार, 26 अक्टूबर 2017

**सूर्य ऊर्जा को समर्पित छठ पर्व

**सूर्य ऊर्जा को समर्पित छठ पर्व

**नदियों के तट पर उतरी प्रेम कविता

बिहार लोकप्रिय धार्मिक सांस्कृतिक छठ पर्व सूर्य ऊर्जा को समर्पित पर्व है गंगा यमुना और तमाम दूसरी पवित्र नदियों के घाटों पर छठ पर्व की रौनक गुलाबी ठंड के साथ कविता की तरह उतरती है छठ पर्व दांपत्य को बांधे रखने  वाली वाली आस्था और विश्वास का पर्व है सुंदर सुंदर वस्त्रों में सोलह श्रृंगार किए सभी विवाहित स्त्रियां अपने पति के साथ गंगा और यमुना के पवित्र जल में खड़ी होकर सूर्य को अर्ध्य अर्पित करती हैं और अपने सुहाग की दीर्घायु की कामना भी उनकी इस उपासना में शामिल होती है सूर्य को मौसम के सारे फल पूजन-अर्चन के सारे उपादान अर्पित किए जाते हैं छठ पर्व कां विधि विधान लोक सम्मत है यह परिवार को एक सूत्र में जोड़ने का पर्व है यह पर इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि इसमें पति-पत्नी दोनों को एक दूसरे के प्रति बराबर की जिम्मेदारी सौंपी गई है छठ पर्व पति-पत्नी को एकात्मकता मैं संपूर्णता का भावबोध कराता है छठ पर्व अपने धार्मिक व सांस्कृतिक लोक सम्मत महत्व के कारण आज सब को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है सब महसूस कर रहे है कि छठ पर्व  के मूलभाव में  परिवार की सुरक्षा  का संदेश है शायद इसीलिए  आज तमाम धर्मों के लोग  पूरी श्रद्धा के साथ  इसे मना रहे हैं ं

वरिष्ठ छायाकार विकास चौहान ने इलाहाबाद के बलुआ घाट यमुना तट पर छठ पर्व की पवित्र छटा को सहेजती हुई तस्वीरें उतारी हैं जो हमें इस पर्व की मूल संवेदना तक ले जाती हैं ।

** अजामिल

रविवार, 22 अक्टूबर 2017

यह जो है ज़िंदगी

** यह जो है जिंदगी
फोटो खिंचवा लो फोटो
प्रयाग के संगम क्षेत्र में अवस्थित लेटे हनुमान जी के मंदिर के समीप आज मेरी मुलाकात धर्मेंद्र मिश्रा से हुई 22 साल का यह युवा एक स्ट्रीट फोटोग्राफर है सड़क किनारे एक छोटे से टेबल पर इसने अपना चलता फिरता स्टूडियो बना रखा है मंदिर में लेटे हनुमान जी के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों और तीर्थयात्रियों की यादगार तस्वीरें धर्मेंद्र अपने डिजिटल कैमरे से उतारता है और वही तीन चार मिनट मैं Canon के मिनी प्रिंटर से तस्वीर प्रिंट कर के अपने ग्राहक को दे देता है और बदले में लेता है ₹30 गजब का उत्साह है उसके भीतर ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने और उन्हें बुलाने के लिए धर्मेंद्र आवाज़ लगाता है फोटो खिंचवा लो फोटो यह बात कुछ अजीब सी लग सकती है लेकिन धर्मेंद्र ने अपने अंदाज को बहुत खूबसूरत बना लिया है लोग उसके पास आते हैं फोटो खिंचवाते हैं और खुश होकर जाते हैं धर्मेंद्र प्रयाग के ही दारागंज क्षेत्र का रहने वाला है उसके परिवार में उसके अलावा कमाने वाला कोई दूसरा नहीं है इसलिए वह इस स्ट्रीट फोटोग्राफी को बहुत खुश होकर पूरी मेहनत से करता है और उसे गर्व की अनुभूति होती है यह काम करते हुए वह प्रेस फोटोग्राफर बनना चाहता था लेकिन उसके लिए प्रशिक्षण के लिए उसके पास ना वक्त था और ना पैसा मैंने उससे पूछा कि तुम कितना कमा लेते हो वह बोला त्योहारों के अवसर पर एक से डेढ़ हजार रूपए उसे प्रतिदिन मिल जाते हैं लेकिन सामान्य दिनों में उसकी कमाई ₹800 से ज्यादा नहीं हो पाती धर्मेंद्र बहुत प्यारा बच्चा है उसके कंधों पर परिवार परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी है आज के दौर में जबकि बेरोजगारी दिनों दिन बढ़ती जा रही है धर्मेंद्र जैसा युवा घर से निकल कर समाज में सामने आया है जिस ने साबित कर दिया कि मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती मैं सोचता हूं कितनी प्रेरणादायक धर्मेंद्र का यह कदम आज जबकि यह धारणा बनती जा रही है की कमर्शियल फोटोग्राफी की नैया डूब रही है धर्मेंद्र जैसे युवा यह विश्वास दिलाते हैं कि आज भी फोटोग्राफी की कद्र करने वाले लोग हैं और अच्छे छायाकारों का जादू सर चढ़कर बोलता है
-- अजामिल
सभी चित्र अजामिल

शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2017

जय बम भोले महादेव प्रयाग

**सावन महीने पर विशेष
** प्रयाग के विश्व प्रसिद्ध चमत्कारिक आध्यात्मिक शिव मंदिर / 23
** जय बम भोले महादेव
यज्ञ तीर्थ प्रयाग के शिव मंदिरों की लंबी श्रंखला में खुल्दाबाद चौराहे से हिम्मतगंज की ओर जाने मार्ग पर प्राण प्रतिष्ठित जय बम भोले महादेव का लगभग 300 वर्ष पुराना शिव मंदिर अपने सुंदर अलंकरण के लिए पूरी दुनिया के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है इस मंदिर की बाहरी और अंदर की दीवारों पर शिवभक्त शिल्पकारों ने पत्थर पर अपनी श्रद्धा के रूप में अपनी आत्मा ही शिव को अर्पित कर दी है पत्थर पर उकेरे गए शिल्प मैं बहुत ही सुंदर देवी देवताओं को तो प्रतिष्ठित किया ही गया है  सप्तरिषि भी अति सम्मान के साथ दीवारों पर मौजूद हैं अनेक धार्मिक प्रसंगों की गाथाओं को कहती पत्थर पर अनेक चित्र श्रंखला भी यहां देखने को मिलती है कहा जाता है कि 300 वर्ष पूर्व भगवान शिव को उनके शिवलिंग स्वरूप में इस मंदिर में पूरे विधि विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठित किया गया था यह शिवलिंग बहुत ही सुंदर है और लगातार शिव भक्तों के पूजन अर्चन से इसका स्वरूप दिनोंदिन निखरता जा रहा है वही यह भी है कि इतनी प्राचीन मंदिर को सहेजने की ओर समाज और शिवभक्तों मैं कोई उत्साह नहीं दिखाई देता यह दुखद है मंदिर के आसपास अतिक्रमण करके लगातार दुकान में लगाई जा रही है और मंदिर के तीनों तरफ ऊंचे ऊंचे मकान बन रहे हैं जिसके कारण मंदिर के मान-सम्मान और गरिमा को धक्का पहुंच रहा है कुछ भक्त यहां अभी भी पूजा अर्चना और आरती करते हैं जिससे मान मर्यादा बची हुई है लोग सोच भी नहीं सकते की बाबा बम भोले महादेव का यह मंदिर एक ऐसी धरोहर है जिसमें प्राचीन प्रयाग की झलक को देखा जा सकता है ।
** प्रस्तुति ; अजामिल
** सभी चित्र : विकास चौहान

गुरुवार, 5 अक्टूबर 2017

बाबा अखिलेश्वर महादेव प्रयाग

**सावन महीने पर विशेष
** प्रयाग के विश्व प्रसिद्ध चमत्कारिक आध्यात्मिक शिव मंदिर /24
** बाबा अखिलेश्वर महादेव
यज्ञ तीर्थ प्रयाग में बाबा अखिलेश्वर महादेव का प्राण प्रतिष्ठित मंदिर तेलियरगंज क्षेत्र में बना हुआ है यह बहुत प्राचीन मंदिर नहीं है लेकिन इसका शिल्प प्राचीन मंदिरों के अनुकरण  को दर्शाता है इन दिनों यह मंदिर चिन्मयानंद ट्रस्ट के अधीन है इसका रखरखाव और सुरक्षा की जिम्मेदारी ट्रस्ट ने ही अपने कंधों पर ली हुई है मंदिर में भी भव्य रुप में शिवलिंग स्थापित है मंदिर बहुत खूबसूरत बना है और लाल पत्थर का है इसके खुलने और बंद होने का समय सुनिश्चित है इसलिए अखिलेश्वर महादेव जी के दर्शन सुबह और शाम आरती के समय ही हो पाते हैं चुकी है मंदिर बहुत पुराना नहीं है इसलिए यहां भक्तों की संख्या भी बहुत ज्यादा नहीं है बावजूद इसके लोग आते हैं और यहां समय समय पर पूजा अर्चना और अभिषेक आदि संपन्न करते हैं मंदिर के आसपास का वातावरण बहुत ही सुंदर है और यहां मन की शांति मिलती है शिव भक्तों को इलाहाबाद आने पर इस मंदिर को देखने का पुण्य जरूर प्राप्त करना चाहिए ।
प्रस्तुति : अजालिल
सभी चित्र : विकास चौहान

सोमवार, 2 अक्टूबर 2017

बाबा चुंबक महादेव प्रयाग

** सावन महीने परे विशेष
** प्रयाग की विश्व प्रसिद्ध चमत्कारिक आध्यात्मिक शिव मंदिर / 26
** बाबा चुम्बक महादेव
यज्ञ तीर्थ प्रयाग शिव ऊर्जा से संचालित है शिव के बिना प्रयाग की कल्पना नहीं की जा सकती शिव प्रयाग में शिव साधकों की मोहिनी शक्ति के रूप में उपस्थित है शिव प्रयाग में प्रवास करते हुए ज्ञान और विज्ञान की अजस्र धारा है कहा जाता है कि प्रयाग शिव भक्ति की भावधारा पर स्थिर है प्रयाग के कल्याणी देवी क्षेत्र में लगभग 300 साल पुराना मंदिर है मां कल्याणी का किसी समय में यह मंदिर छोटा सा हुआ करता था आज तो यह मंदिर प्रयाग की यश कीर्ति का बहुत बड़ा आधार है इसी मंदिर परिसर में बाबा चुंबक महादेव प्राण प्रतिष्ठित है यह मंदिर भी लगभग 200 वर्ष पुराना है शिव भक्तों ने भगवान के चरणों में अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए महादेव जी का नया नामकरण ही कर दिया दुनिया में शायद ही कहीं शिवजी का यह नाम मिलता हो चुंबक महादेव यहां प्राण प्रतिष्ठित महादेव का आकर्षण भी चुंबकीय है यहां शिवलिंग पर अपना मस्तक झुका देने वाले शिवभक्त सदा के लिए शिव के हो जाते हैं यह शिवलिंग भक्तों को अपनी ओर खींचता है और पूरे शरीर को भक्ति की उर्जा से भर देता है जो यहां एक बार आता है वह बार-बार यहां आना चाहता है चुंबक महादेव सचमुच चुंबक ही है मंदिर का शिल्प पारंपरिक है शिवलिंग स्वरूप पारंपरिक है परंतु उनकी महिमा और शक्तियां हजारों हजार शिव मंदिरों से अलग है गंगा जल चढ़ाने से बाबा चुंबक महादेव प्रसन्न में हो जाते हैं बेलपत्र उन्हें बहुत प्रिय है कहते हैं कि कोई बुरी आदत अगर न छोड़ जा रही हो तो भक्तों को इनकी शरण में आ जाना चाहिए बुरी आदतों को छोड़ने की जो भक्त यहां शपथ लेता है उसे शपथ की रक्षा स्वयं बाबा चुंबक महादेव करते हैं यहां शपथ लेने के बाद कोई अपनी शपथ तोड़ नहीं सकता और अगर तोड़ता है तो चुंबक महादेव के उसे दर्शन नहीं होते अद्भुत लीला है बाबा चुंबक महादेव की प्रयाग आना हो तो बाबा चुंबक महादेव के दर्शन अवश्य करें कुछ मांगने की आवश्यकता नहीं इन्हे सब पता है बस यहां से दर्शन का पुण्य पहले लेकर ही भक्त वापस होता है खाली हाथ यहां से कोई नहीं जाता ।
** प्रस्तुति / अजामिल
**सभी चित्र / विकास चौहान