**यह जो है जिंदगी
राजस्थान के
ये घुमंतू मूंगफली वाले
कहते हैं कि रोटी रोजी किसी इंसान को कहां से उठा कर कहां ले जाएगी कोई नहीं जानता करोड़ों लोग आज देश में ऐसे हैं जो अपना घर परिवार छोड़कर देश के छोटे बड़े हिस्सों में दो रोटी कमाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं इलाहाबाद में पिछले दो वर्षों से राजस्थान के घुमंतू मूंगफली वाले शहर के सड़क किनारे अपनी छोटी छोटी मूंगफली की दुकानें लगाए हुए हैं यह राजस्थान से कच्ची मूंगफली लेकर चलते हैं और जहां अपनी दुकान लगाते हैं वहां एक छोटे से चूहे पर एक कढ़ाई में मूंगफली गरमा गरम मूंगफली भेजते हैं इस तरह की दुकानें इस शहर में लगभग 50 साट के आसपास है हर दुकान पर कम से कम 2 लोग काम करते हैं कई मूंगफली की दुकानें ऐसी भी है जिसमें पूरा परिवार लगा हुआ है किसी भी दिन 50 किलो से ज्यादा इनकी मूंगफली नहीं देख पाती रात को यह अपनी दुकान हटाते नहीं बल्कि वही सो जाते हैं रोज दुकान को समेटना और सुबह फिर सजाना इनके लिए मुश्किल काम है कुछ विचारों पर यह मूंगफली वाले मूंगफली को बोरे में भरकर उस धर्मशाला या होटल तक ले जाते हैं जहां यह ठहरे हुए हैं अजीब खानाबदोश जिंदगी है इनकी भी जो मिल गया खा लिया स्थानीय बाजार की प्रतिस्पर्धा के कारण इन्हें अपने मूंगफली का रेट प्रति किलो कम रखना पड़ता है जिसके कारण इनके मुनाफे का मार्जिन बहुत कम हो जाता है सर्दियों में ग्राहक इनसे किलो 2 किलो मूंगफली ले जाते हैं इनके संघर्ष को सलाम करता हूं इनकी मेहनत को सलाम करता हूं यह वह लोग है जिन्होंने अपना रास्ता खुद बनाया है हर जीवन को पूरे साल इमरान के साथ जी रहे है।
**चित्र और रिपोर्ट अजामिल ं