**सूर्य ऊर्जा को समर्पित छठ पर्व
**नदियों के तट पर उतरी प्रेम कविता
बिहार लोकप्रिय धार्मिक सांस्कृतिक छठ पर्व सूर्य ऊर्जा को समर्पित पर्व है गंगा यमुना और तमाम दूसरी पवित्र नदियों के घाटों पर छठ पर्व की रौनक गुलाबी ठंड के साथ कविता की तरह उतरती है छठ पर्व दांपत्य को बांधे रखने वाली वाली आस्था और विश्वास का पर्व है सुंदर सुंदर वस्त्रों में सोलह श्रृंगार किए सभी विवाहित स्त्रियां अपने पति के साथ गंगा और यमुना के पवित्र जल में खड़ी होकर सूर्य को अर्ध्य अर्पित करती हैं और अपने सुहाग की दीर्घायु की कामना भी उनकी इस उपासना में शामिल होती है सूर्य को मौसम के सारे फल पूजन-अर्चन के सारे उपादान अर्पित किए जाते हैं छठ पर्व कां विधि विधान लोक सम्मत है यह परिवार को एक सूत्र में जोड़ने का पर्व है यह पर इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि इसमें पति-पत्नी दोनों को एक दूसरे के प्रति बराबर की जिम्मेदारी सौंपी गई है छठ पर्व पति-पत्नी को एकात्मकता मैं संपूर्णता का भावबोध कराता है छठ पर्व अपने धार्मिक व सांस्कृतिक लोक सम्मत महत्व के कारण आज सब को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है सब महसूस कर रहे है कि छठ पर्व के मूलभाव में परिवार की सुरक्षा का संदेश है शायद इसीलिए आज तमाम धर्मों के लोग पूरी श्रद्धा के साथ इसे मना रहे हैं ं
वरिष्ठ छायाकार विकास चौहान ने इलाहाबाद के बलुआ घाट यमुना तट पर छठ पर्व की पवित्र छटा को सहेजती हुई तस्वीरें उतारी हैं जो हमें इस पर्व की मूल संवेदना तक ले जाती हैं ।
** अजामिल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें