** यह जो है जिंदगी
फोटो खिंचवा लो फोटो
प्रयाग के संगम क्षेत्र में अवस्थित लेटे हनुमान जी के मंदिर के समीप आज मेरी मुलाकात धर्मेंद्र मिश्रा से हुई 22 साल का यह युवा एक स्ट्रीट फोटोग्राफर है सड़क किनारे एक छोटे से टेबल पर इसने अपना चलता फिरता स्टूडियो बना रखा है मंदिर में लेटे हनुमान जी के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों और तीर्थयात्रियों की यादगार तस्वीरें धर्मेंद्र अपने डिजिटल कैमरे से उतारता है और वही तीन चार मिनट मैं Canon के मिनी प्रिंटर से तस्वीर प्रिंट कर के अपने ग्राहक को दे देता है और बदले में लेता है ₹30 गजब का उत्साह है उसके भीतर ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने और उन्हें बुलाने के लिए धर्मेंद्र आवाज़ लगाता है फोटो खिंचवा लो फोटो यह बात कुछ अजीब सी लग सकती है लेकिन धर्मेंद्र ने अपने अंदाज को बहुत खूबसूरत बना लिया है लोग उसके पास आते हैं फोटो खिंचवाते हैं और खुश होकर जाते हैं धर्मेंद्र प्रयाग के ही दारागंज क्षेत्र का रहने वाला है उसके परिवार में उसके अलावा कमाने वाला कोई दूसरा नहीं है इसलिए वह इस स्ट्रीट फोटोग्राफी को बहुत खुश होकर पूरी मेहनत से करता है और उसे गर्व की अनुभूति होती है यह काम करते हुए वह प्रेस फोटोग्राफर बनना चाहता था लेकिन उसके लिए प्रशिक्षण के लिए उसके पास ना वक्त था और ना पैसा मैंने उससे पूछा कि तुम कितना कमा लेते हो वह बोला त्योहारों के अवसर पर एक से डेढ़ हजार रूपए उसे प्रतिदिन मिल जाते हैं लेकिन सामान्य दिनों में उसकी कमाई ₹800 से ज्यादा नहीं हो पाती धर्मेंद्र बहुत प्यारा बच्चा है उसके कंधों पर परिवार परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी है आज के दौर में जबकि बेरोजगारी दिनों दिन बढ़ती जा रही है धर्मेंद्र जैसा युवा घर से निकल कर समाज में सामने आया है जिस ने साबित कर दिया कि मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती मैं सोचता हूं कितनी प्रेरणादायक धर्मेंद्र का यह कदम आज जबकि यह धारणा बनती जा रही है की कमर्शियल फोटोग्राफी की नैया डूब रही है धर्मेंद्र जैसे युवा यह विश्वास दिलाते हैं कि आज भी फोटोग्राफी की कद्र करने वाले लोग हैं और अच्छे छायाकारों का जादू सर चढ़कर बोलता है
-- अजामिल
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रविवार, 22 अक्टूबर 2017
यह जो है ज़िंदगी
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