मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017

हर घर की कहानी

दूर दराज से आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए माघ मेला मैं घर गृहस्थी की चीजें बिक्री के लिए आती है इनमें कढ़ाई सिलबट्टा और तरह तरह के मसाले आकर्षण का केंद्र होते हैं इनकी खूब बिक्री होती है कढ़ाई आम तौर पर राजस्थान सिलबट्टा मिर्जापुर और मसाले राजस्थान से आते हैं ।
सभी फोटो अजामिल

सोमवार, 27 फ़रवरी 2017

माघ मेला कि कुछ स्मृतियां

प्रयाग में होने वाला माघ मेला बड़े मनोरम दृश्य से भरा होता है जिस तरफ देखिए उत्सव ही उत्सव दिखाई देता है चारो तरफ लोग ही लोग होते हैं कहीं भंडारे चल रहे होते हैं तो कहीं पंटून पुल से होकर लोगों का आना जाना लगा रहता है यह एक ऐसा मेला होता है जिसमें इलाहाबाद और इलाहाबाद के आसपास के लोग तो एकत्र होते ही हैं देशभर से लोग माघ माह में विशेष पूजन अर्चन और कल्पवास के लिए आते हैं ।
आलेख एवं फोटो अजामिल

सानिध्य साहित्य चिंतक प्रोफैसर अमर सिंह का

आज यह तस्वीर मेरे और रवि नंदन सिंह जी के लिए एक यादगार तस्वीर हो गई प्रोफेसर अमर सिंह जी ने हिंदुस्तानी एकेडेमी की पत्रिका हिंदुस्तानी का सभी औपचारिकताओं के साथ विमोचन किया था इस अवसर पर मैं और मेरे प्रिय मित्र साहित्य आलोचक और कवि रविनंदन सिंह भी साथ थे प्रोफैसर अमर सिंह जी का सानिध्य हमेशा हमें नए ज्ञान और ऊर्जा से भरता रहा उनका ना होना पूरे समाज की अपूरणीय क्षति है

शूटिंग की यादें : आइडिया 4जी का विज्ञापन

पिछले दिनों idea 4g के विज्ञापन की निर्माण प्रक्रिया के दौरान बजे शूटिंग में एक कलाकार की हैसियत से शामिल होने का अवसर मिला इस मौके पर मैंने कुछ तस्वीरें उतारी यह शूटिंग श्रृंगवेरपुर इलाहाबाद में गंगा नदी के तट पर हुई यह बहुत ही खूबसूरत और सुरम्य स्थान है यह विज्ञापन दो करोड़ की लागत से बना था और इस में इलाहाबाद के कुछ कलाकारों ने भाग लिया था इस शूटिंग की यादें हमारे लिए अविस्मरणीय है ।
सभी चित्र व आलेख अजामिल

आखिर उन्हें जाने की इतनी जल्दी क्या थी

बार बार एक सवाल मन में आता है कि आखिर अमर सिंह जी को दुनिया जहान छोड़ कर जाने की इतनी जल्दी भी क्या थी अभी पिछले दिनों गोपीकृष्ण गोपेश की अनुदित किताब विदेशों के महाकाव्य पर उन्होंने विशेष वक्तव्य दिया था उस दिन उनकी जाने की जल्दबाजी का कोई संकेत हमें नहीं मिला बल्कि वह बेहद शांत दिख रहे थे उस दिन उन्होंने सबसे मुलाकात की सबका हाल चाल लिया मैंने हमेशा की तरह उनके चरण स्पर्श किए तो उन्होंने आशीर्वाद दिया प्रोफेसर अमर सिंह उन लोगों में थे जो किसी भी कार्यक्रम में पहुंचे तो उस कार्यक्रम की गरिमा दोगुनी हो गई उनकी सबसे अच्छी बात यह थी कि वह सभी विषयों में और सभी लोगों में रुचि रखते थे अच्छे लोगों को पहचानने में उन्हें महारत हासिल थी उन्हें लल्लो-चप्पो करते कभी किसी ने नहीं देखा बेहद शांत रहते थे और आवश्यकता होने पर ही बोलते थे उनके पास विभिन्न विषयों पर तमाम ऐसी जानकारी होती थी जो अक्सर हमारी पहले सुनी हुई नहीं होती थी उनके चेहरे पर बिल्कुल बच्चों जैसी बहुत प्यारी सी मुस्कुराहट खेलती रहती थी आज भी हमें नहीं लगता कि प्रोफेसर अमर सिंह हमें छोड़ कर जा चुके हैं उनका इस दुनिया से जाना नामुमकिन है वह हमारी यादों में हमेशा बसे रहेंगे पिछली मुलाकात में मैंने उनकी कुछ तस्वीरें क्लिक की थी बहुत संकोच के साथ उन्होंने मुझे सहयोग किया अब नहीं है तो हमें उनकी यादों को सहेज कर रखना है क्योंकि उनके जैसे लोग आज की दुनिया में बहुत कम हो गए हैं उन की पीढ़ी लगभग हमें छोड़ कर जा चुकी है प्रोफेसर अमर सिंह रायबरेली के रहने वाले थे पर उनका मन पक्का इलाहाबादी था समकालीन मुक्तिबोध के साथ मिलकर मैं उन्हें अपना अंतिम प्रणाम पूरी श्रद्धा के साथ अर्पित करता हूं सादर
आलेख एवं फोटो अजामिल

माघ मेला से वापसी

PICTORIAL EVIDENCE

माघ मेला से वापसी

प्रयाग का प्रतिवर्ष लगने वाला माघ मेला सिमट गया लाखो स्नानार्थी गंगा स्नान करके अपने अपने घरों की ओर वापस लौट गए आस्था की गठरी उनके सर पर थी यह सभी गंगा भक्त गाते बजाते हंसते खिलखिलाते चले जा रहे थे इनका उत्साह देख कर लगा की गंगा के प्रति इनकी श्रद्धा और विश्वास को दुनिया की कोई ताकत कम नहीं कर सकती ।
फोटो अजामिल

अनुशासन

संगम गंगा तट का एक मनमोहक नजारा इसे देखने के लिए प्रतिवर्ष लाखों लोग इलाहाबाद आते हैं।
फोटो अजामिल

धागा तंत्र

गांव देहात में और अब शहरों में भी लगने वाले मेलों में यह रंग बिरंगे धागे खूब बिक्री के लिए आते है आम और खास लोगों का यह विश्वास है कि इन धागो को गले में धारण करने से ईश्वर की कृपा बनी रहती है इन रेशमी धागों का व्यापार काफी बड़ा है
चित्र एवं टिप्पणी अजामिल

बाबूजी खुश है

80 साल की उम्र में पहुंचे बाबूजी हर तरह से अपने को खुश रखने की कोशिश करते हैं कभी कभी मन उदास होता है तो कहते हैं कि बहुत जी लिया और कभी-कभी उत्साह से भर जाते हैं तो पुरानी बातों को याद करते हुए बच्चों से खुश होते हैं ईश्वर चर्चा उन्हें अच्छी लगती है शरीर को संभाले हुए हैं ताकि जाने की बेला तक कहीं कुछ ऐसा ना हो जिससे बच्चों को तकलीफ हो बहुत प्यारी सी हंसी है उनकी सब को प्यार करते हैं कोई नहीं आता तो चुपचाप रहकर मौन रहने का आनंद उठाते हैं बुरा न सोचते हैं न किसी का बुरा करते हैं निश्चल हैं इसलिए सब उनका आदर करते हैं ।
आलेख एवं फोटो अजामिल

गुनगुन एक लड़की दुल्हन सी

उसका प्यार का नाम गुनगुन है लेकिन असली नाम अंतरा कौशिक है गुनगुन को डांस का बहुत शौक है 5 साल की हैं लेकिन इस्कॉन के बड़े मंच पर गुनगुन ने बहुत अच्छी प्रस्तुतियां दी हैं कृष्ण और राधा कि उसने यादगार भूमिकाएं निभाई है गुनगुन डॉक्टर बनना चाहती हैं लेकिन कहीं भी संगीत सुनाई दे जाता है तो उसका पैर थिरकने लगता है
फोटो अजामिल

रविवार, 26 फ़रवरी 2017

नवीन शिशु वाटिका इलाहाबाद में धूमधाम से किया अपना वार्षिकोत्सव बच्चों ने की मनभावन प्रस्तुतियां इलाहाबाद के सुप्रसिद्ध शिक्षण संस्थान टैगोर पब्लिक स्कूल की शाखा नवीन शिशु वाटिका ने धूमधाम के साथ अपना वार्षिक उत्सव मनाया इस कार्यक्रम के खास मेहमान दूरदर्शन इलाहाबाद की कार्य कारी निर्देशिका तेजिंदर रही इस अवसर पर नन्हे मुन्ने बच्चों ने बहुत सारी रंगारंग प्रस्तुतियां की जिसे देख कर दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए । चित्र व रिपोर्ट अजामिल






















एक था गधा उर्फ अलादाद खां , इलाहाबाद में हुई शरद जोशी के नाटक -एक था अलादाद खां -की प्रस्तुति । एक धांसू प्रोडक्शन । हास्य व्यंग और हास्यास्पद हास्य से लबरेज़ । रंगकर्मियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुकरणीय प्रस्तुति । निर्देशक और कलाकारों को बधाई । 370 कम 400 लोगो ने नाटक देखकर कहा -- वाह ।क्या बात है । छाया :अजामिल





**प्रयाग के सुप्रसिद्ध कूड़ाघर उत्तर प्रदेश के गंदे शहरों के बीच हुए सर्वेक्षण में इलाहाबाद को अपने शहर को गन्दा करने की पुरज़ोर कोशिश के बावजूद कम गंदे शहरों में तीसरे स्थान पर ससम्मान शुमार किया गया है । इस सम्मान को लेने के लिए इलाहाबाद की मेयर लाव लश्कर के साथ सम्मानित की गयीं । यूँ भी इलाहाबाद के कूड़ाघर यहां की गंदगी में चार चाँद लगाते हैं । नगर निगम की कृपा से पुराने इलाहाबाद शहर में एक हज़ार से ज़्यादा कूड़ाघर हैं जो इलाहाबाद की आन बान और शान को दोबाला करते हैं । इन कुदघरों की जान है छुट्टा जानवर जो कूड़े को पूरे क्षेत्र में फैलाने में नगर निगम का सहयोग करते है वर्ना ये काम नगर निगम अकेले कैसे करता । कुदाघरों के कारण लगभग सभी इलाकों में मच्छर हैं जो नयी बीमारियों को फैलाकर डाक्टरों की मदद करते हैं । वाकई इलाहाबाद एक गन्दा शहर है । शहर के कुछ सुप्रसिद्ध कूड़ाघर शहर की सुंदरता और आकर्षण का बड़े कारण हैं । नागरिकों को इन पर गर्व है । इसीलिए वे इधर उधर कूड़ा फेककर अपने मौलिक नैतिक कर्तव्य का पालन करते हैं । श्री मोदी जी के स्वच्छता अभियान की स्मृति को बनाये रखने के लिए ये ज़रूरी है क़ि इलाहाबाद के कूड़ाघरों के नाम महापुरुषों के नाम पर रखे जाएँ । ये प्रयास नगर निगम की एक अतिरिक्त आय का साधन भी बन सकता है । इलाहाबाद की सड़कों और कुड़ाघरों को छुट्टा और आवारा जानवरों के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता । नगर निगम के पशुधन अधिकारी इन जानवरों की अभिवयक्ति की स्वतंत्रता का भरपूर सम्मान करते हैं । ये आवारा जानवर इलाहाबाद शहर की सड़कों पर भागते जीवन की गति को कंट्रोल किये रहते हैं । कुड़ाघरों का अस्तित्व बनाये रखना चाहिए क्योकि ये 'चतुर ' श्रेणी के कर्मचारियों के अस्तित्व से भी जुड़ा है । कुड़ाघरों को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किये जाने की मांग भी ठलुए उठा सकते हैं । एक देशव्यापी आंदोलन चलाया जा सकता है । इलाहाबाद के कूड़ाघर मामूली कूड़ाघर नहीं है । इसमें स्वच्छता के प्रति हमारी गंभीर लापरवाही की सड़ांध पूरी शिद्दत से मौजूद है । कल को इलाहाबाद के कूड़ाघर एक विरासत के रूप में देखे जानेवाले हैं । बच्चों के लिए ये धरोहर होंगे । एक ऐसी धरोहर जो मनुष्य और गंदगी के रिश्तों को रेखांकित करेगी । ** हिदुस्तान ई मीडिया के लिए अजामिल की ख़ास रिपोर्ट छाया : अजामिल