रविवार, 26 फ़रवरी 2017
**प्रयाग के सुप्रसिद्ध कूड़ाघर उत्तर प्रदेश के गंदे शहरों के बीच हुए सर्वेक्षण में इलाहाबाद को अपने शहर को गन्दा करने की पुरज़ोर कोशिश के बावजूद कम गंदे शहरों में तीसरे स्थान पर ससम्मान शुमार किया गया है । इस सम्मान को लेने के लिए इलाहाबाद की मेयर लाव लश्कर के साथ सम्मानित की गयीं । यूँ भी इलाहाबाद के कूड़ाघर यहां की गंदगी में चार चाँद लगाते हैं । नगर निगम की कृपा से पुराने इलाहाबाद शहर में एक हज़ार से ज़्यादा कूड़ाघर हैं जो इलाहाबाद की आन बान और शान को दोबाला करते हैं । इन कुदघरों की जान है छुट्टा जानवर जो कूड़े को पूरे क्षेत्र में फैलाने में नगर निगम का सहयोग करते है वर्ना ये काम नगर निगम अकेले कैसे करता । कुदाघरों के कारण लगभग सभी इलाकों में मच्छर हैं जो नयी बीमारियों को फैलाकर डाक्टरों की मदद करते हैं । वाकई इलाहाबाद एक गन्दा शहर है । शहर के कुछ सुप्रसिद्ध कूड़ाघर शहर की सुंदरता और आकर्षण का बड़े कारण हैं । नागरिकों को इन पर गर्व है । इसीलिए वे इधर उधर कूड़ा फेककर अपने मौलिक नैतिक कर्तव्य का पालन करते हैं । श्री मोदी जी के स्वच्छता अभियान की स्मृति को बनाये रखने के लिए ये ज़रूरी है क़ि इलाहाबाद के कूड़ाघरों के नाम महापुरुषों के नाम पर रखे जाएँ । ये प्रयास नगर निगम की एक अतिरिक्त आय का साधन भी बन सकता है । इलाहाबाद की सड़कों और कुड़ाघरों को छुट्टा और आवारा जानवरों के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता । नगर निगम के पशुधन अधिकारी इन जानवरों की अभिवयक्ति की स्वतंत्रता का भरपूर सम्मान करते हैं । ये आवारा जानवर इलाहाबाद शहर की सड़कों पर भागते जीवन की गति को कंट्रोल किये रहते हैं । कुड़ाघरों का अस्तित्व बनाये रखना चाहिए क्योकि ये 'चतुर ' श्रेणी के कर्मचारियों के अस्तित्व से भी जुड़ा है । कुड़ाघरों को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किये जाने की मांग भी ठलुए उठा सकते हैं । एक देशव्यापी आंदोलन चलाया जा सकता है । इलाहाबाद के कूड़ाघर मामूली कूड़ाघर नहीं है । इसमें स्वच्छता के प्रति हमारी गंभीर लापरवाही की सड़ांध पूरी शिद्दत से मौजूद है । कल को इलाहाबाद के कूड़ाघर एक विरासत के रूप में देखे जानेवाले हैं । बच्चों के लिए ये धरोहर होंगे । एक ऐसी धरोहर जो मनुष्य और गंदगी के रिश्तों को रेखांकित करेगी । ** हिदुस्तान ई मीडिया के लिए अजामिल की ख़ास रिपोर्ट छाया : अजामिल
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