गुरुवार, 28 सितंबर 2017

मंसूरियन माई का मंदिर प्रयाग

××नवरात्रि विशेष /9 प्रयाग के सुप्रसिद्ध चमत्कारिक सिद्धपीठ देवी मंदिर

××मसूरियन माई का मंदिर××

यज्ञतीर्थ प्रयाग के  कीटगंज मोहल्ले के आखरी छोर पर कैंट एरिया में लगभग 200 साल पूर्व मंसुरियन माई का मंदिर प्राण प्रतिष्ठित किया गया था । जीर्णोद्धार के बाद यह मंदिर खूबसूरत मंदिर बनवा दिया गया है । मंसुूरियन माई सिद्ध देवी है जिनका मंदिर इलाहाबाद के पीपल गांव में अवस्थित है । यह मंदिर माई के भक्तों ने अपनी श्रद्धा से स्थापित  करवाया है । देवी पर्वों पर यहां काफी भीड़ होती है । माई के भक्त पीपल गांव स्थित मंसुूरियन मंदिर में बलि चढ़ाते हैं लेकिन इस मंदिर में बलि नहीं चढ़ाई जाती । प्रयाग में मंसुरियन माई के मंदिर की महिमा है और लोग बड़ी संख्या में यहां दर्शन के लिए आते हैं ।

प्रस्तुति / अजामिल

सभी चित्र / विकास चौहान

दुर्गा पूजा पंडाल की साज सज्जा 2017

दुर्गा पूजा 2017 की कुछ तस्वीरें इलाहाबाद में दुर्गा पूजा पंडालों की साज सज्जा मैं लगातार परिवर्तन हो रहे है इस साल मैंने 8 से 10: दुर्गा पूजा पंडालों का भ्रमण किया और मैंने पाया की 70 और 80 के दशक में दुर्गा पूजा पंडालों में जो आध्यात्मिकता की सुगंध मिलती थी वह लगभग 2017 तक आते-आते पूरी तरह से गायब होने के कगार पर है दुर्गा पूजा पंडालों की सजावट में बजे कुछ जगहों पर नयापन लगा उस नयेपन की कुछ तस्वीरें मैंने क्लिक की है ।

बुधवार, 27 सितंबर 2017

भावापुर प्रयाग की मां काली

××नवरात्रि विशेष / 8 प्रयाग के सुप्रसिद्ध चमत्कारिक सिद्धपीठ देवी मंदिर

++भावा पर वाली

मां काली**

यज्ञतीर्थ प्रयाग के मोहल्ले भावापुर में मां काली की लगभग 200 बरस पुरानी बहुत सुंदर प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठित है ..। किसी समय में यह मंदिर बहुत छोटा सा हुआ करता था । आज यह मंदिर विशाल हो गया है और यहां आने वाले भक्तों की संख्या पहले की तुलना में कई गुना ज्यादा हो गई है । यहां मां काली की प्रतिमा जागृत है । कुछ देर मां काली की ओर देखने पर मां की सम्मोहननी शक्ति भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है और भक्ति भाव से पूर्ण करती है । मां काली की प्रतिमा दया ममता और करुणा से भरी हुई है  । भक्तों का मानना है कि मां के समक्ष नतमस्तक होने मात्र से मनोकामनाएं पूर्ण होती है । इस मंदिर में एक पुराना कुआं भी है जिसमें आज भी मीठा जल मौजूद है  । पीपल का एक पेड़ भी है । एक छोटा सा आंगन है जहां अनुष्ठान आदि संपन्न होते हैं । यह काली मां का मंदिर प्रयाग में लोकप्रियता के शिखर पर है । बड़ी संख्या में लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं और मां का सानिध्य सुख प्राप्त करते हैं । **प्रस्तुति / अजामिल **सभी चित्र/  विकास चौहान

मंगलवार, 26 सितंबर 2017

कटरा वाली काली मां

**नवरात्र विशेष / 7 प्रयाग के सुप्रसिद्ध चमत्कारिक सिद्धपीठ देवी मंदिर

**कटरावाली काली मा

यज्ञतीर्थ प्रयाग के पुराने मोहल्ले कटरा के मुख्य बाजार में काली मां का लगभग 300 साल पूर्व प्राण प्रतिष्ठित अति प्राचीन मंदिर अवस्थित है । इस मंदिर में काली मां का स्वरूप एक अलग ही मनोहारी सौंदर्य से दमक रहा है और मां करुणा और दया से भरी बहुत शांत दिखाई दे रही हैं। काली मां के वस्त्र विन्यास भी बिल्कुल अलग तरह के हैं । लगातार पूजन-अर्चन के कारण काली मां का यह मंदिर दिव्य प्रतीत होता है । मंदिर परिसर में मीठे जल का एक कुआं भी बना हुआ है । मंदिर के पीछे की ओर अति प्राचीन पीपल का पेड़ भी है  । कटरा की यह काली मा सिद्ध  ऊर्जावान  देवी है । भक्तों का विश्वास है कि  मां से कुछ भी मांग लेने पर  वह पूर्ण हो जाता है । काली पूजा के समय  यहां  भक्तों की  काफी भीड़ होती है । सभी धर्मों के लोग  यहां सर झुकाने के लिए आते हैं ।

प्रस्तुति /अजामिल

सभी  चित्र / विकास चौहान

सीढ़ियां

सीढ़ियां

शॉर्ट कट की संस्कृति

इलाहाबाद के नए यमुना पुल इस एंगिल से देखना काफी रोमांचक है | पुल के बीच  से नीचे उतरने के सीढियों को जिस तरह से बनाया गया वह स्ट्रक्चर सभी को कम से कम एक बार ऊपर- नीचे आने-जाने के लिए अपनी ओर आकर्षित करता है इस पुल से करीब ५०००० लोग आते-जाते है |शार्ट कट की संस्कृति को इस पुल पर देखा जा सकता है |
                                                                    आलेख- छायांकन- अजामिल

सोमवार, 25 सितंबर 2017

भारद्वाज मां काली मंदिर प्रयाग

** नवरात्र विशेष / 6  प्रयाग की विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ चमत्कारिक देवी मंदिर

**भरद्वाज काली मंदिर**

यज्ञतीर्थ प्रयाग में सन 1826 में भरद्वाज आश्रम के समीप एक सौदागर ने सपने में मिले आदेश का पालन करते हुए मां काली का एक छोटा सा मगर दिव्यता का प्रतीक अति सुंदर मां काली का मंदिर प्राण प्रतिष्ठित करवाया था । इस काली धाम में मां काली की प्रतिमा बड़ी ही मनमोहनी है । भक्त मां की ओर देखते ही रह जाते हैं । इसी छोटे से परिसर में मां दुर्गा भी मां काली के सानिध्य में उपस्थित है । मंदिर की सुरक्षा  बंगाली समाज के लोग करते हैं इसलिए यहां प्रतिदिन विधि विधान के साथ मां काली का पूजन अर्चन होता है । दूर दराज से जो भी भरद्वाज आश्रम में भरद्वाज जी के दर्शन के लिए पहुंचता है वह भरद्वाज माकाली के चरणों में मस्तक झुकाना नहीं भूलता । यहां की काली पूजा पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भक्तों द्वारा की जाती है । इस मंदिर में घुसते ही एक आध्यात्मिक सुगंधा आप को चारों ओर से घेर लेती है और आप अपने आप मां को समर्पित हो जाते है। ं मां काली मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली देवी है और उन के सानिध्य में भय का नहीं बल्कि भक्ति का संचार होता है ।

** प्रस्तुति अजामिल

सभी चित्र विकास चौहान

रविवार, 24 सितंबर 2017

अलोप शंकरी सिद्ध पीठ प्रयाग

** नवरात्र विशेष / 5

प्रयाग की सुप्रसिद्ध चमत्कारिक सिद्धपीठ देवी मंदिर

** अलोप शंकरी देवी मां**

यज्ञतीर्थ प्रयाग के दारागंज क्षेत्र के अंतर्गत लगभग 200 साल पूर्व  प्राण प्रतिष्ठित अलोप शंकरी देवी मां का मंदिर आम जनमानस की श्रद्धा और भक्ति की सुगंध से सबकी आस्था का केंद्र बना हुआ है । बताते हैं कि लगभग 200 वर्ष पूर्व किसी देवी भक्तों को इस मंदिर के निर्माण के लिए स्वप्न में प्रेरणा हुई थी और उसने पूरे मनोयोग से अलोप शंकरी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी।  200 वर्ष पूर्व दारागंज का क्षेत्र वनाच्छादित था लेकिन यहां का वातावरण गंगा किनरा होने के कारण बहुत सुरम्य था । गंगा भक्तों का यहां से आना जाना हमेशा होता रहता था । दारागंज की घनी बस्ती उस समय आज जैसी नहीं थी । अलोपी शंकर भक्तों की आस्था  विश्वास और लगातार यहां चलने वाले अनुष्ठानिक प्रयोग हवन आदि से यह दिव्य देवी निवास सिद्धपीठ में बदल गया है । इस मंदिर में देवी अलोप शंकरी एक झूले में झूल रही है । सुंदर सुंदर वस्त्रों में उनका स्वरूप सबको अपनी और आकर्षित करता है । उनके आसपास की उर्जा में एक मन को मोह लेने वाला सम्मोहन है । पुरुष देवी मां को स्पर्श नहीं करते लेकिन स्त्रियां मां के झूले को न सिर्फ झुलाती हैं बल्कि उनके सानिध्य में भजन कीर्तन करती है । अलोप शंकरी देवी मां के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं । यहां कन छेदन मुंडन जैसे संस्कारों के अलावा हवन आदि अनुष्ठान भी संपादित होते हैं । शादी विवाह के लिए  लड़की लड़को की  वह दिखाई अभी यहां आसानी से हो जाती है और  विवाह के लिए  रिश्ते तय होते हैं । यहां एक बड़ी हवन शाला भी है । मंदिर परिसर में अनेक ऐसी दुकानें हैं जहां देवी मां के श्रंगार की वस्तुएं मिलती है  । स्त्रियां इन वस्तुओं को मां के चरणों में अर्पित करं अपने सुहाग की कुशलता के लिए अपने घर ले जाकर उसे धारण करती है । अलोपी शंकर का यह सिद्धपीठ भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला है  नवरात्र में यहां आने वाले देवी दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है  । पुराणों में अलोप शंकरी की चर्चा मिलतीै है ।

प्रस्तुति / अजामिल

सभी चित्र / विकास चौहान

सीढ़ियों का दर्शन

सीढियाँ भी कुछ कहती है
सीढियाँ मुझे हमेशा आकर्षित करती रही है क्योकि मेरा मानना है कि सीढियाँ केवल नीचे ऊपर जाने आने के लिए नहीं होती बल्कि एक सम्मोहित करने वाली उछाल होती है जो एक तरह की जीतने की  ख़ुशी का अहसास कराती है | इलाहाबाद ने नए यमुना पुल के करीब इन सीढियों का स्थापत्य मुझे बहुत नाटकीय लगा | ऊपर से इसके ऊपर पड़ने वाली लाइट ने इसकी नाटकीयता को और भी दोबाला कर दिया | ये सीढियाँ एक बहुत प्यारी सी कविता की अभिव्यक्ति लग रही है और यही इसकी खूबसूरती  है |
                                                            आलेख और छायांकन - अजामिल

काली बाड़ी मुठी गंज प्रयाग

** नवरात्र विशेष / 4

प्रयाग के सुप्रसिद्ध चमत्कारिक सिद्ध पीठ देवी मंदिर

**मुट्ठीगंज का काली मंदिर**

यज्ञतीर्थ प्रयाग के व्यापारिक क्षेत्र मुट्ठीगंज में लगभग 300 बरस पुराना माँ काली मंदिर लोकप्रियता के शिखर पर प्राण प्रतिष्ठित है । मंदिर के  निर्माण का समय सन 1860 बताया जाता  है । इस बारबारी में मां काली अपने अत्यंत सुंदर स्वरूप में विराजमान् है । यहाहं चमकदार काले पत्थर की बनी मां काली की प्रतिमा ममता दया और करुणा की भक्तों को सम्मोहित करनेवाली मनमोहिनी प्रतिमा है । यह प्रतिमा इतनी जागृत है कि इसकी ओर देखने पर मां की आंखें हलचल करती हुई प्रतीत होती है । मंदिर का विशाल परिसर मां के पूजन-अर्चन से गमकता रहता है  । वर्ष भर मां काली के भक्त दूर दूर से दर्शन के लिए आते है ।ं काली मां का आशीर्वाद भक्तों पर सिद्ध है । यहां मां के चरणों में इच्छा व्यक्त कर देने के बाद उसके पूर्ण होने पर कोई संदेह नहीं रह जाता । सुबह शाम विधि विधान के साथ काली मां का भक्त पूजन-अर्चन करते है  और उनका भोग चढ़ता है । बंगाली समाज के लिए तो मां काली का यह सिद्ध पीठ किसी तीर्थ से कम नहीं है । हजारों लोग ऐसे हैं जो प्रतिदिन मां के चरणों में अपना मस्तक टेकनेे के लिए आते हैं। इस सिद्धपीठ में कला और संस्कृति के उत्थान के लिए अनेक धार्मिक सांस्कृतिक आयोजन होते रहते हैं । इस मंदिर में बलि भी चढ़ाई जाती है जिसके लिए एक अलग स्थान बना दिया गया है । बड़ी बात यह है कि इस मंदिर में सभी धर्मों के लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं ।

**प्रस्तुति / अजामिल

सभी चित्र/ **विकास चौहान

दुर्गा पूजा 2017 की कुछ तस्वीरें

दुर्गा पूजा प्रयाग 2017 मूर्ति निर्माण कार्यशाला कि कुछ तस्वीरें