सीढियाँ भी कुछ कहती है
सीढियाँ मुझे हमेशा आकर्षित करती रही है क्योकि मेरा मानना है कि सीढियाँ केवल नीचे ऊपर जाने आने के लिए नहीं होती बल्कि एक सम्मोहित करने वाली उछाल होती है जो एक तरह की जीतने की ख़ुशी का अहसास कराती है | इलाहाबाद ने नए यमुना पुल के करीब इन सीढियों का स्थापत्य मुझे बहुत नाटकीय लगा | ऊपर से इसके ऊपर पड़ने वाली लाइट ने इसकी नाटकीयता को और भी दोबाला कर दिया | ये सीढियाँ एक बहुत प्यारी सी कविता की अभिव्यक्ति लग रही है और यही इसकी खूबसूरती है |
आलेख और छायांकन - अजामिल
रविवार, 24 सितंबर 2017
सीढ़ियों का दर्शन
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