**सावन महीने पर विशेष
** प्रयाग की विश्वप्रसिद्ध चमत्कारिक आध्यात्मिक शिव मंदिर / 18
**नागवासुकि तीर्थ **
यज्ञ तीर्थ प्रयाग आने वाले शिवभक्तों के लिए प्रयाग जनपद मैं प्राण प्रतिष्ठित देवी देवताओं के दर्शन के लिए 20 कोशी परिक्रमा का बड़ा महत्व है इसी परिक्रमा के क्रम में दारागंज क्षेत्र में सैकड़ों वर्ष पूर्व गंगा तट पर स्थापित किए गए श्री नाग वासुकि की महिमा विश्व विख्यात है नाग वासुकि का मंदिर पूरे भारत में अकेला मंदिर है जहां नाग देवता की पूजा-अर्चना वर्षभर विधि विधान के साथ शिव भक्तों द्वारा संपादित होती है
प्रयाग का नागवासुकि मन्दिर मध्यकाल में स्थापित हुआ था । प्राचीम मंदिर कब और कितनी बना इसका कोई लिखित प्रमाण नही है । परंतु नाग नागी का एक समूर्तन स्वयम इसका साक्षी है क़ि 10वी शताब्दी के आसपास एक प्राचीन नादिर यहां रहा होगा । उसी परंपरा का निर्वाह करते हुए मराठा शाशक श्रीधर भोलने ने मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण करवाया था । कुछ लोग इसका श्रेय मराठा शासक राघोवा को देते हैं ।यह मंदिर 18 वी शताब्दी से पूर्व का नही है क्योंकि इसकी शैली और शिल्प झुँसी के तिवारी मंदिर जैसी है । यहां वासुकि नाग की मूर्ति अधिक प्राचीन लगती है । इस मंदिर के संदर्भ में साहित्यकार डॉक्टर जगदीश गुप्त का मानना है कि श्री वासुकि नाग जी का मंदिर प्रयाग में दारागंज के उत्तरी छोर पर गंगा तट पर स्थित है । इसका महत्व पुराणों में मिलता है । बताते हैं कि महाभारत काल के महाराजा डिवो दास ने 60 हज़ार साल तक भगवान वासुकि नाग की तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर वासुकि नाग ने प्रयाग भूमि पर निवास करना स्वीकार किया था ।
बताते हैं कि वर्षों पूर्व नाग वासुकि मंदिर के आसपास का वातावरण वृक्षों से आच्छादित होने के कारण बड़ा मनोरम था उस समय शिवभक्त यहां आकर नाग देवता की पूजा अर्चना किया करते थे यहां तमाम तंत्र मंत्र साधनाएं सहज ही सिद्ध हो जाती थी यही एक छोटा सा मंदिर था जहां एक चबूतरे पर नाग देवता विराजी हुए थे बाद में यह मंदिर शिव भक्तों ने प्राचीन मंदिरों की शैली और शिल्प मैं बड़े मनोयोग से एक बहुत खूबसूरत मंदिर के रूप में बनवाई आज यह मंदिर कालसर्प दोषों के निवारण के लिए पूजा अर्चना और साधना का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है इस मंदिर की 3 दिशाओं में गंगा बहती है आज इस मंदिर के चारों ओर घनी बस्ती है जिसके कारण नाग वासुकि मंदिर के एकांतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक वातावरण को काफी नुकसान पहुंचा है यह मंदिर शिव साधकों की साधना धार्मिक अनुष्ठानों के कारण तीर्थ हो गया है प्रयाग आने वाले साधु संत महात्मा और शिव साधक नाग वासुकि के दर्शन के लिए जरूर पहुंचते हैं यह मंदिर लखोरी ईंट और पत्थर का बना है सभी मौसम में इस मंदिर का तापमान ठंडा रहता है यहां पर बहुत सुंदर पक्के गंगा घाट भी बने हुए है सुबह शाम मंदिर में शिव भक्तों द्वारा आरती होती है जिसमें काफी बड़ी संख्या में शिवभक्त जमा होते है ।आज नाग पंचमी है ।आज यहां नाग वासुकि महाराज के विशेष अनुष्ठान संपन्न हो रहे हैं ।
** प्रस्तुति : अजामिल
** सभी चित्र ‘ विकास चौहान
बुधवार, 6 सितंबर 2017
नाग वासुकी तीर्थ प्रयाग
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें