×× सावन महीने पर विशेष
** प्रयाग के विश्व प्रसिद्ध चमत्कारिक आध्यातिक शिव मंदिर / 19
** भारद्वाजेश्वर महादेव
यज्ञ तीर्थ प्रयाग उस काल में महातीर्थ हो गया जब भगवान श्री राम वन गमन के समय अपनी भार्या सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ प्रयाग में गंगा तट के निकट बने प्रकृति की सुंदर छटा से आच्छादित छोटे से भरद्वाजेश्वर आश्रम में पधारे यह आश्रम उस काल में शिक्षा का बड़ा केंद्र हुआ करता था और यहां बड़े-बड़े ऋषि मुनि और आध्यात्मिकता के सत्य की खोज में लगे ज्ञान पिपासु इस आश्रम में आकर रहते थे और यहां होने वाले आयोजनों में शास्त्रार्थ करते थे उसी काल में भरद्वाज आश्रम में मुनि भारद्वाज ने यहां शिवलिंग की विधि विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा की थी शिव भक्तों ने भारतद्वाज मुनि के सम्मान में इस आश्रम का नाम भारद्वाजेश्वर महादेव रखा था भगवान राम सीता और लक्ष्मण के साथ कुछ देर यहां रुके थे उसके बाद भरद्वाज मुनि से चित्रकूट जाने का आदेश पाकर श्रृंगवेरपुर गंगा घाट से आगे चले गए थे भगवान राम के आने से यह स्थान भक्तों के लिए और भी पवित्र हो गया आज इस आश्रम में एक छोटे से मंदिर के भीतर भरद्वाज मुनि और भारतद्वाजेश्वर महादेव क्रमशा मूर्ति और शिवलिंग के रूप में महादेव स्थापित है विश्व का पहला विश्वविद्यालय होने के कारण इस आश्रम की गुण गाथा सहज वर्णन से परे है इस आश्रम में ऋषि मुनियों ने जीवन के सत्य की खोज की और उसे दुनिया के समक्ष रखा इस आश्रम में शिव की उपासना का बड़ा महत्व है कहते हैं कि यहां शिव की उपासना करने वाले को ज्ञानार्जन की प्रेरणा मिलती है विश्व भर के लोग इस आश्रम में आकर भारद्वाजेश्वर महादेव से सच्चे ज्ञान की प्राप्ति का आशीष प्राप्त करते हैं कहा तो यहां तक जाता है कि भारतद्वाजेश्वर महादेव का यह जो रूप भक्तों के समक्ष है उसमें शिव गुरु की भूमिका में है जो केवल आशीष रूप में ज्ञान दे रहे हैं इस प्राचीन धरोहर को बचाकर रखने की बहुत जरूरत है क्योंकि इस मंदिर की स्थापना राम काल में हुई थी और इस मंदिर का वर्णन बाल्मीकि रामायण में मिलता है तुलसीदास जी ने भी इस आश्रम की चर्चा रामचरितमानस में की है इसलिए भी इसका बहुत महत्व है ।
** प्रस्तुति ‘ अजामिल
** सभी चित्र ‘ विकास चौहान
सोमवार, 4 सितंबर 2017
बाबा भारद्वाजेश्वर महादेव
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