** नवरात्रि विशेष / 3
प्रयाग के सुप्रसिद्ध चमत्कारिक सिद्धपीठ देवी मंदिर
**मां ललिता सिद्धपीठ*
पुराणों में वर्णित 52 सिद्ध पीठ मैं मां ललिता सिद्ध पीठ का स्थान सर्वोपरि है । कहते हैं कि जब देव दानव का युद्ध हुआ तब मां ललिता की एक उंगली गिरकर प्रयाग में यमुना तट पर प्राण प्रतिष्ठित हो गई । भक्तों ने एक छोटा सा मंदिर बना दिया जो आज से 400 साल यहां के पहले वन क्षेत्र में अवस्थित था । भक्तजन यमुना स्नान के लिए आते थे तब इस मंदिर पर मां ललिता के दर्शन अवश्य करते थे । आज भक्तों की भक्ति की महिमा यह है कि यह मंदिर यज्ञतीर्थ प्रयाग की प्राण प्रतिष्ठा है । यह मंदिर आज अपने भव्य रूप में मां ललिता के निवास से जगमंगा रहा है और लाखों लोग प्रतिवर्ष दूर-दूर से मां ललिता के दर्शन के लिए आ रहे हैं । दक्षिण भारत के लोगों का इस मंदिर पर आना लगभग सुनिश्चित होता है । यह शक्तिपीठ एक सम्मोहित कर लेने वाली ऊर्जा से प्राणित है । सुंदर सुंदर वस्त्रों में मां ललिता इस शक्तिपीठ में अपने भक्तों को दर्शन देती हैं । 9 दिनों तक यहां साल में दो बार धूमधाम से उत्सव होता है । भंडारे में हजारों लोग भोजन करते हैं । इस शक्तिपीठ में मां ललिता अपने सभी भक्तों के लिए चमत्कारों की जननी है । ममता से भरी हुई माँ से जिसने जो कुछ मांग लिया मां ने उसे वह सुख दे दिया । बड़े बड़े साधु संत महात्मा जब प्रयाग आते हैं तब मां का दर्शन करना कभी नहीं भूलते । ललिता मां शक्तिपीठ का पुराना स्वरूप बहुत सुंदर था लेकिन पिछले दिनों दक्षिण के मंदिरों की परंपरा में इस मंदिर मेंं भी परिवर्तन किए गए लेकिन इस मंदिर में मां ललिता की परम आत्मा आज भी अपनी जीवंतता के साथ उपस्थित है ।
** प्रस्तुति अजामिल
** सभी चित्र विकास चौहान
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