** नवरात्र विशेष / 5
प्रयाग की सुप्रसिद्ध चमत्कारिक सिद्धपीठ देवी मंदिर
** अलोप शंकरी देवी मां**
यज्ञतीर्थ प्रयाग के दारागंज क्षेत्र के अंतर्गत लगभग 200 साल पूर्व प्राण प्रतिष्ठित अलोप शंकरी देवी मां का मंदिर आम जनमानस की श्रद्धा और भक्ति की सुगंध से सबकी आस्था का केंद्र बना हुआ है । बताते हैं कि लगभग 200 वर्ष पूर्व किसी देवी भक्तों को इस मंदिर के निर्माण के लिए स्वप्न में प्रेरणा हुई थी और उसने पूरे मनोयोग से अलोप शंकरी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी। 200 वर्ष पूर्व दारागंज का क्षेत्र वनाच्छादित था लेकिन यहां का वातावरण गंगा किनरा होने के कारण बहुत सुरम्य था । गंगा भक्तों का यहां से आना जाना हमेशा होता रहता था । दारागंज की घनी बस्ती उस समय आज जैसी नहीं थी । अलोपी शंकर भक्तों की आस्था विश्वास और लगातार यहां चलने वाले अनुष्ठानिक प्रयोग हवन आदि से यह दिव्य देवी निवास सिद्धपीठ में बदल गया है । इस मंदिर में देवी अलोप शंकरी एक झूले में झूल रही है । सुंदर सुंदर वस्त्रों में उनका स्वरूप सबको अपनी और आकर्षित करता है । उनके आसपास की उर्जा में एक मन को मोह लेने वाला सम्मोहन है । पुरुष देवी मां को स्पर्श नहीं करते लेकिन स्त्रियां मां के झूले को न सिर्फ झुलाती हैं बल्कि उनके सानिध्य में भजन कीर्तन करती है । अलोप शंकरी देवी मां के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं । यहां कन छेदन मुंडन जैसे संस्कारों के अलावा हवन आदि अनुष्ठान भी संपादित होते हैं । शादी विवाह के लिए लड़की लड़को की वह दिखाई अभी यहां आसानी से हो जाती है और विवाह के लिए रिश्ते तय होते हैं । यहां एक बड़ी हवन शाला भी है । मंदिर परिसर में अनेक ऐसी दुकानें हैं जहां देवी मां के श्रंगार की वस्तुएं मिलती है । स्त्रियां इन वस्तुओं को मां के चरणों में अर्पित करं अपने सुहाग की कुशलता के लिए अपने घर ले जाकर उसे धारण करती है । अलोपी शंकर का यह सिद्धपीठ भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला है नवरात्र में यहां आने वाले देवी दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है । पुराणों में अलोप शंकरी की चर्चा मिलतीै है ।
प्रस्तुति / अजामिल
सभी चित्र / विकास चौहान
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